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divya prakash dubay :- a Writers who made Hindi literature popular among youth

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हिंदी के जाने माने लेखक , कहानीकार व हिंदी साहित्य को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने वाले लेखकों में से एक है दिव्य प्रकाश दूबे ।। दिव्य प्रकाश दुबे का जन्म 8 मई 1982 लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ। दिव्य प्रकाश दुबे ने अपने शिक्षा लखनऊ, वाराणसी में पूर्ण की और इन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रुड़की से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। एमबीए के बाद उन्हें एक शीर्ष MNC. में रखा गया और साथ में उन्होंने कहानियाँ लिखना शुरू किया जो बाद में प्रकाशित हुई। दिव्य प्रकाश दुबे ने अपने अब तक के लेखन काल में 6 किताबें लिखी हैं जिनमें नियम और शर्तें लागू, मसाला चाय, मुसाफिर कैफे, अक्टूबर जंक्शन , इब्नेबतूती व आको बाको है।कविता से लेकर लघुकथाओं तक उपन्यासों से लेकर ऑडियो पुस्तकों मे दुबे ने बोलचाल की भाषा में अपनी दिल को छू लेने वाली कहानियों से दर्शकों का मनोरंजन किया है, जिसे वे 'नई वाली हिंदी' कहते हैं।  अभी हाल ही में उन्होंने एक नया ऑडियोबुक सुनाया'दो दुनी प्यार' जो इस जून में श्रव्य पर जारी हुआ और जिसमें उनकी कहानियां सुनाई गई। लेखक की कई ऑडियोबुक प्रक...

Chitra Mudgal - The First Woman To Receive The "Vyas Samman" For Her Novel "Aavaan"

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मजबूती अपने अंतरमन में ही होती है बिट्टी! कोई उसे किसी को दे नहीं सकता है। हाँ, उसका मनोबल सींचकर वह उस दृष्टि को विकसित करने में अवश्य सहायक सिद्ध हो सकता है... जो भीतर की अदृश्य शक्ति को अन्वेषित कर व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करने का साहस और आत्मविश्वास प्रदान करती है...जिनमें वह शक्ति अन्वेषित नहीं हो पाती, वे संघर्ष से पलायन कर आत्मघात को प्रवृत्त होते हैं या समझौते को...। - चित्रा मुद्गल, एक जमीन अपनी साहित्य के क्षेत्र में व्यास सम्मान प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला " चित्रा मुद्गल " का जन्म 10 दिसंबर 1943 को चेन्नई में हुआ। चित्रा मुद्गल जी ने प्रारंभ से ही खुद को साहित्य के क्षेत्र से जोड़ लिया। और उन्होंने अपनी एम. ए भी हिंदी साहित्य से ही की। चित्रा मुद्गल भारतीय लेखिका और आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख साहित्यकारों में से एक हैं। इन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में एक जमीन अपनी, गिलिगुड़, केंचुल, प्रतिनिधि कहानियां, आवान, दूर के ढोल आदि रचनाओ का संपादन किया। इनकी सभी रचनाएं बहुप्रशंसित रही और इन्हें सन् 2000 में "आवान" पुस्तक के लिए ...

kulhad ki chai or kuye ka pani by Navendu Nischal

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पुस्तक- "कुल्हड़ की चाय और कुएं का पानी" लेखक- नवेंदु निश्चल पृष्ठ संख्या -65 प्रकाशन- राजमंगल प्रकाशन खुशियां और गम साथ हैं , फिर भी ये चुप रहती है  अब तक किसी ने न जाना, जिंदगी क्या कहती है।।                                (नवेंदु निश्चल)  मेरे लिए कविता एक भाव है, शब्दों की गहराई का सार है। कविता एक अहसास है, शब्दों की अभिव्यक्ति का आधार है।। हर कविता अपना गहरा अस्तित्व रखती है। , और शब्दों को भाव से प्रस्तुत करती है। कविता शब्दों को अलंकृत करती है । ऐसी ही एक पुस्तक है जिसमें लेखक कविताओं के माध्यम से अपने भाव प्रस्तुत कर रहे हैं। तो यह किताब है "कुल्हड़ की चाय और कुएं का पानी" जिसके लेखक हैं नवेंदु निश्चल । छोटी-छोटी कविताओं का संग्रह है जिसमें हर कविता अपना एक अलग एहसास कराती है। इन कविताओं में कहीं प्यार का दर्द , कहीं जीवन का एहसास , कहीं प्यार का इजहार, कहीं धोखे की खुशबू, कहीं गांव के सुनहरे पलों का राज, तो कहीं जीवन की भागदौड़ है , तो कहीं जीवन का तज़ुर्बे का अहसास पढ़ने को ...

udaas Pani mai duba Chand

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उदास पानी डूबा चांद नीरज उपाध्याय जी का पहला उपन्यास है, जो कि 14 कहानियों का एक कहानी संग्रह है। सभी कहानियां अपना एक अलग अस्तित्व रखती है लेकिन ज्यादातर कहानियां प्रेम कहानियां पर आधारित है। जैसे किसी कहानी में प्रेम मिलाप तो किसी कहानी में प्रेम विरह आदि पढ़ने को मिलता है। साथ ही साथ कुछ कहानियों में प्रेम के अलावा  दोस्ती, मां और ससुराल की यादों के रूप में नयापन देखने को मिलता है। लेखक की लेखन शैली की बात करें तो लेखक ने कहानी  में बड़ी ही सुंदर लेखन शैली का प्रयोग किया है जो पाठकों को आकर्षित करती है । लेखक का शब्द चयन उत्कृष्ट है इसी वजह से कहानी में कोई भी शब्द अशुद्धि नहीं है। साथ ही कहानी में कुछ नये शब्द भी पढ़ने को मिलते हैं जैसे अलबत्ता, गोया आदि। "हम जब- जब मुकम्मल होना चाहते हैं न, हर बार कोई वजह आकर हमें रोक लेती है कि जैसे हमारा अपूर्ण रह जाना ही हमारी नियति है।" और भी ऐसी वन लाइनर और पंच लाइन कहानी में बहुत पढ़ने को मिलते हैं। जो हमारी जिंदगी से संबंधित ही लगते हैं।  मुझे हमेशा से कहानी पढ़ने की बहुत उत्सुकता रहती है कि यह कहानी क्या है, इसमें...

"Bharatendu Harishchandra": Father of Modern Hindi Literature

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निज भाषा उन्नति लहै सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल॥ हिंदी साहित्य के पितामह, हिंदी में आधुनिकता के पहले रचनाकार व आधुनिक हिंदी को शीर्ष पर पहुंचाने वाले कवि " भारतेंदु हरिश्चंद्र "  का जन्म 9 सितंबर 1850 वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ। महज 15 वर्ष की उम्र में भारतेंदु ने साहित्य सेवा प्रारंभ कर दी और 18 वर्ष की उम्र में ही "कविवचनसुधा" नामक पत्रिका का संपादन किया। हिंदी भाषा की उन्नति ही उनका मूल मंत्र था। भारतेंदु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। भारतेंदु के वृहत साहित्यिक योगदान के कारण सन् 1868 से 1900 तक का काल "भारतेंदु युग" के नाम से जाना जाता है।  भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेंदु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता , शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। उन्होंने जनमत को आकार देने के लिए रंगमंच को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। भारतेंदु जी ने अपने लेखन काल में हरिश्चंद्...

A famous writer of Hindi literature - "Amrita Pritam"

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  In the blogchatterA2Z campaign, I will be presenting blogpostes on "vo Suhaane Lekh , vo purane Lekhak" in the Alphabetical order. Starting Today with A- "A famous writer of Hindi literature - Amrita Pritam" . Here is written about his life, education,  compositions and awards  etc. आज मैंने अपने घर का नम्बर मिटाया है और गली के माथे पर लगा गली का नाम हटाया है और हर सड़क की दिशा का नाम पोंछ दिया है पर अगर आपको मुझे ज़रूर पाना है तो हर देश के, हर शहर की, हर गली का द्वार खटखटाओ यह एक शाप है, यह एक वर है और जहाँ भी आज़ाद रूह की झलक पड़े।।                        (मेरा पता)  ऐसी और भी सुप्रसिद्ध कविताएं लिखने वाली आधुनिक प्रसिद्ध कवियत्री है अमृता प्रीतम जी । जो साहित्य के क्षेत्र में एक चर्चित हस्ती है। अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 में गुजरांवाला , पंजाब में हुआ , जो कि वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है। अमृता प्रीतम भारतीय उपन्यासकार , निबंधकार और कवियत्री हैं जिन्होंने अपने लेखन की शुरुआत ...

#BlogchatterA2Z challenge theme

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I am going to participate in this challenge for the first time, so I'm a bit nervous and till the last minute it was in my mind whether I should participate or not. But I didn't want to step back, so with great enthusiasm I've come to this decision that I'll participate in it. I'll write new blogs everyday, as well as read blogs of all other participants and learn from them. 🥁 🥁 And my theme for this challenge is- "Vo suhaane din, vo purane lekhak". Yeah! As we say- "Old is gold". And this theme of mine is in favour of this saying. The authors of our Aadikal, Bhaktikal, Ritikaal, Chhayavad, Pragativad, Proyagvad, etc. who brought Hindi yo the top; who made Hindi the best by becoming it's pillars or support system. I'll share with you the golden writings and biography of the authors through this opportunity.  You'll get to know about those who have brought Hindi to us by embellishing it. And I'm super excited for this...