kulhad ki chai or kuye ka pani by Navendu Nischal

पुस्तक- "कुल्हड़ की चाय और कुएं का पानी"
लेखक- नवेंदु निश्चल
पृष्ठ संख्या -65
प्रकाशन- राजमंगल प्रकाशन

खुशियां और गम साथ हैं , फिर भी ये चुप रहती है
 अब तक किसी ने न जाना, जिंदगी क्या कहती है।।
                               (नवेंदु निश्चल) 
मेरे लिए कविता एक भाव है, शब्दों की गहराई का सार है।
कविता एक अहसास है, शब्दों की अभिव्यक्ति का आधार है।।

हर कविता अपना गहरा अस्तित्व रखती है। , और शब्दों को भाव से प्रस्तुत करती है। कविता शब्दों को अलंकृत करती है । ऐसी ही एक पुस्तक है जिसमें लेखक कविताओं के माध्यम से अपने भाव प्रस्तुत कर रहे हैं। तो यह किताब है "कुल्हड़ की चाय और कुएं का पानी" जिसके लेखक हैं नवेंदु निश्चल ।

छोटी-छोटी कविताओं का संग्रह है जिसमें हर कविता अपना एक अलग एहसास कराती है। इन कविताओं में कहीं प्यार का दर्द , कहीं जीवन का एहसास , कहीं प्यार का इजहार, कहीं धोखे की खुशबू, कहीं गांव के सुनहरे पलों का राज, तो कहीं जीवन की भागदौड़ है , तो कहीं जीवन का तज़ुर्बे का अहसास पढ़ने को मिलता है।

इस पुस्तक में कवि ने तुकात्मक शैली का बखूबी प्रयोग किया है जो कविता को और अधिक रूचिकर बनाती है। साथ ही कविता में उर्दू में हिंदी के शब्दों का समावेश है। कविता लेखक के अनुभवों का भाव है। हिंदी कविताओं के साथ भोजपुरी कविता( सजनिया) का भी समावेश किया है।

हमें तो मोहब्बत के लिए , जिंदगी कम लगती है
 जाने लोग नफरत के लिए , वक्त कहां से लाते हैं।।
 
पुस्तक में मजबूरी, हरियाली ,नशा ,मुंबई लोकल, शायरी सनक अधूरा , बंटवारा आदि मेरी कुछ पसंदीदा रचनाएं हैं। 
लेखक ने बंटवारा कविता के माध्यम से बताया है कि "चाहे सब कुछ बढ़ जाए पर प्यार और एहसास नहीं बांटा जा सकता है यह अमूल्य संपत्ति है जो हमेशा साथ रहती है।"
व मुंबई लोकल कविता के माध्यम से जिंदगी की भागदौड़ का चित्रण किया है। साथ ही और भी कविताएं हैं जो अपना भाव प्रस्तुत करती है।

पुस्तक का कवर शीर्षक के अनुकूल है। जैसे शीर्षक गांव के सुनहरे पलों का एहसास कराता है वैसे ही कवर उस शीर्षक में जान डालता है।।


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