A famous writer of Hindi literature - "Amrita Pritam"

 In the blogchatterA2Z campaign, I will be presenting blogpostes on "vo Suhaane Lekh , vo purane Lekhak" in the Alphabetical order. Starting Today with A- "A famous writer of Hindi literature - Amrita Pritam". Here is written about his life, education,  compositions and awards  etc.


आज मैंने
अपने घर का नम्बर मिटाया है
और गली के माथे पर लगा
गली का नाम हटाया है
और हर सड़क की
दिशा का नाम पोंछ दिया है
पर अगर आपको मुझे ज़रूर पाना है
तो हर देश के, हर शहर की,
हर गली का द्वार खटखटाओ
यह एक शाप है, यह एक वर है
और जहाँ भी
आज़ाद रूह की झलक पड़े।।
                       (मेरा पता) 
ऐसी और भी सुप्रसिद्ध कविताएं लिखने वाली आधुनिक प्रसिद्ध कवियत्री है अमृता प्रीतम जी। जो साहित्य के क्षेत्र में एक चर्चित हस्ती है। अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 में गुजरांवाला , पंजाब में हुआ , जो कि वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है। अमृता प्रीतम भारतीय उपन्यासकार , निबंधकार और कवियत्री हैं जिन्होंने अपने लेखन की शुरुआत 1936 में अपनी पहली कविता "अमृत लेहरन (अमर तरंगें) " से की। उन्होंने अपनी शुरुआत रोमांटिक कवियत्री के रूप में की, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी लेखन शैली का रुख "प्रगतिशील लेखकों के आंदोलन" की ओर बदल दिया। अमृता मुख्यतः पंजाबी और हिंदी में अपनी रचनाएं लिखती थी।

अमृता प्रीतम ने अपने लेखन काल में 28 उपन्यास, 18 गद्य संकलन, 6 लघु कथाएं ,16 विविध गद्य खंड व बहुत मशहूर कविताएं लिखी। उनकी रचनाओं में कविता, कथा , जीवनी, निबंध, पंजाबी लोकगीतों का संग्रह और "एक आत्मकथा" की 100 से अधिक पुस्तकें शामिल थी।  

अमृता प्रीतम की मुख्य रचनाएं पिंजर (उपन्यास), अज वारिस शाह नु (कविता), सुनरे (कविता) , रसीद टिकट ( 1976) , कोरे कागज, यात्री ,कच्ची सड़क आदि है। अपनी रचना पिंजर में उन्होंने विभाजन के दंगों की कहानी के साथ साथ उन महिलाओं के संकट का वर्णन किया है, जो उस समय के दौरान पीड़ित थी। साथ ही अमृता प्रीतम ने एक मशहूर पंजाबी लोकगीत लिखा, जो विभाजन के दौरान नरसंहारों पर उनकी पीड़ा की अभिव्यक्ति है ‌। 
*(This photo was taken from Google.)

लेखन काल के दौरान अमृता प्रीतम की सभी रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुई और वह उन सभी रचनाओं के लिए 1956 में "साहित्य अकादमी पुरस्कार", 1969 में "पद्मश्री" , 1982 में "भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार" और 2004 में "पद्म विभूषण" आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 

31 अक्टूबर 2005 को 86 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके लेखन की कला ने उनका नाम अमर कर दिया।

उनके निधन के पश्चात विभाजन पर बनी फिल्म गर्म हवा (1973) के निर्देशक एमएस सथ्यू ने अपने दुर्लभ नाट्य प्रदर्शन "एक थी अमृता" के माध्यम से उन्हें नाटकीय श्रद्धांजलि प्रदान की । साथ ही 2007 में प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने "अमृता रिसिटेड बाय गुलजार" शीर्षक ऑडियो एल्बम जारी किया जिसमें अमृता प्रीतम की कविताएं सुनाई गई। 

अभी हाल ही में 31 अक्टूबर 2019 को गूगल ने उनकी 100वी जयंती को डूडल के साथ मनाते हुए उन्हें सम्मानित भी किया। इतिहास के स्वर्ण पन्नों में वह हमेशा हमें याद रहेंगी और उनकी रचनाओं से हम प्रेरणा लेते रहेंगे।

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