पगडंडी पुस्तक समीक्षा
पुस्तक- पगडंडी
लेखक- कपिल सहारे
पृष्ठ संख्या- 433
प्रारूप - पेपर बैक
शैली- उपन्यास
"जीवन में हार जीत होती रहती है पर अंत में वही जीतता है जो दुर्व्यवहार करने वाले के प्रति मन में क्रोध के स्थान पर मैत्री जगाएगा।"
यह पुस्तक आधुनिकता से अध्यात्म की ओर ले जाती है। पगडंडी लेखक कपिल सहारे जी की पहली पुस्तक है। जिसे कपिल सहारे जी ने कुछ दुखद यात्राओं को आनंदमयी यात्रा में बदल दिया। यह पुस्तक आपको शरीर के अद्भुत व रोमांच भरे सफर पर ले जाएंगी।
पुस्तक को 12 भागों में बांटा है, जहां हर एक दिन का वर्णन किया गया है।
पगडंडी विपन्यास पर आधारित पुस्तक है ,जो दिखने में 433 पेज की है पर पढ़ने में बड़ी ही सहजता से पूरी हो जाती है। कहानी शुरू होती है रेलवे स्टेशन से जहां दो दोस्त बहुत सालों बाद एक दूसरे से मिलते हैं, व कुछ ही समय में उनका एक और दोस्त आ जाता है और सब मिलकर अपने दोस्त के घर जाते हैं जहां उन्हें एक ऐसा सरप्राइस मिलता है जो उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाता है।
ध्यान लगाना साधना करने से मन शांत रहता है और इस पुस्तक से अलग ही शांति की अनुभूति होती है। यह पुस्तक आपको प्यार करने का तरीका , रिश्तो व दोस्ती का महत्व, आध्यात्म, धर्म के बारे में सही मायने में बताती है। पुस्तक में दिल , दिमाग और मन की नोक झोंक भी बखूबी देखने को मिलती हैं।
इस पुस्तक के पात्रों की बात करें तो पुस्तक में शैलू, पारस , विनित , राज , परी आदि पात्र हैं , जो समय समय पर अपनी भूमिका बखूबी निभाते हैं।
पुस्तक साहित्यिक पाठकों के लिए ज्यादा रूचिकर है और बाकी पाठक भी पुस्तक को आसानी से पढ़ सकते हैं।
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