संयोग पुस्तक समीक्षा by श्वेता शर्मा
पुस्तक- संयोग
लेखक- यश यादव
✨संयोग यश यादव की रचना है जो वास्तविक घटना पर आधारित है। कहानी में खुद को लिखना अपने जीवन के पुरानी पलो को फिर से जीना है यह बात लेखक ने अपनी पुस्तक के माध्यम से सच की है।
✨संयोग जीती जागती मूरत है श्रृंगार की। संयोग काल्पनिकता से हटकर सच्चे निस्वार्थ प्रेम की कहानी है ।
✨संयोग अनजाने में मिले दो सच्चे दिलों की दास्तां है जिनके जीवन में कुछ अलग ही रोमांच लिखा है। संयोग को पढ़कर मन में भाव का वेग बड़ी तीव्रता से हिलोरे खाने लगता है। नये भाव मन में उत्पन्न होने लगते हैं।
✨उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का अपने सपनों को सच करने के लिए व अच्छी जॉब पाने के लिए मुंबई जाता है और थोड़ी संघर्ष के बाद उसे एक अच्छी कंपनी में जॉब मिलती है। और जीवन में कुछ उतार-चढ़ाव के बाद यश एक नई कंपनी में जॉब करने के लिए दोबारा मुंबई जाता है, जहां जॉब पर जाते हुए रास्ते में उसे एक लड़की की झलक दिखती है , पहली बार किस्मत यश को कहानी की नायिका से मिलाती है। बिना उस लड़की की खैरो खबर जाने ही यश उसे रोज खोजने लगता है क्योंकि दिल तो पहली बार में ही यश उसे दे बैठता है। आखिरकार थोड़ी मेहनत के बाद प्रतिमा यश को मिल ही जाती, आगे दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं और थोड़ी मेहनत के बाद उनके परिवार वाले भी उनकी शादी के लिए मान जाते हैं। भाई आप यकीन नहीं करोगे कहानी सुपरहिट है, इसलिए आगे की कहानी मजेदार भी हो सकती है और दुखद भी हो सकती है यह जानने के लिए, थोड़े पैसे खर्च करो, जल्दी से अमेजॉन पर जाओ और संयोग को खरीदो।
✨लेखक ने पुस्तक में श्रृंगार रस के दोनों भागो का बखूबी वर्णन किया है। और आसान सी बात है जहां श्रृंगार है वहां प्रेम तो होगा ही।
✨कहानी की भाषा शैली सरल है और पाठकों के अनुकूल है। संयोग ऐसी कहानी है जिसे आप बिना रुके ही पढते ही जाएंगे।
✨संयोग को पढ़ने के साथ साथ ही आपको आगे के पृष्ठों पर लिखी अन्य पाठकों की समीक्षा बहुत ही अच्छी लगेगी।
समीक्षक- श्वेता शर्मा
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